संयोगो का सृजन कैसे होता है ।
या
मनोचित्रण(Visualization) कैसे करते है ।
स्टेप 1:-
हम जो भी देखते, सुनते है वोहमारे अर्ध जाग्रत मन में छप जाते है । अर्थात वो सभी हमारे अवचेतन
मन (Sub-Conscious Mind ) मे चला जाता है । इस तरह इसके पास अच्छे बुरे चित्र को हम लगातार
भेजने का काम करते है । हमारे द्वारा जो भी संदेश हमारे अवचेतन
मन (Sub-Conscious Mind
) को भेजे जाते हैं। वो सभी
जानकारियो को अपने पास संग्रहीत करता है।
स्टेप 2:-
चित्र रूप में बार- बार मिलने वाली सत्य या असत्य जानकारी को हमारा अवचेतन
मन (Sub-Conscious Mind
)स्वीकार कर लेता है और उन्हे
वास्तविक समझने लगता है । अर्थात जो जानकारी हमारे अवचेतन
मन (Sub-Conscious Mind
)मे जाते रहते है उसे हमारा अवचेतन
मन (Sub-Conscious Mind
)वास्तविक मानने लगता है ।
स्टेप 3:-
हमारा अवचेतन
मन (Sub-Conscious Mind
) जिन बातों और घटानाओ को सच करता
है । उन्हे हमारा अवचेतन मन
(Sub-Conscious Mind ) अपने पास संग्रहीत करने लगता है
अर्थात हमारे अवचेतन मन
(Sub-Conscious Mind )स्वीकार की गयी सभी सूचना को अपने पास संग्रहीत करके रखता है ।
स्टेप 4(a) :-
जिस तरह की जानकारी और सूचना अवचेतन
मन (Sub-Conscious
Mind )के पास जमा होती है वह हमें उसी
तरह प्रभावित करने लगता है । अर्थात यदि हम अपने लाभ और हितकारी सूचनाओको जमा करते
है तो वह हमे लाभ और हितकर करने के लिए कार्य करता है और यदि सूचना हमारे लिए अहित
कर और विनाशक हो तो वह उस कार्य मे लग जाता है ।
स्टेप 4(b):-
अगर सूचना अच्छी है हमारा
अवचेतन मन (Sub-Conscious
Mind ) अच्छे ढंग से और बुरी है तो हमारा अवचेतन
मन (Sub-Conscious
Mind ) बुरे ढंग से यह हमें प्रभावित
करना शुरू कर देता है ।
ये अपने विचारो
को प्रभावित करने लगता है ।
ये अपने
भावनाओ को प्रभावित करने लगता है ।
ये हमारी
शारीरिक क्रियाओ को प्रभावित करने लगता है ।
ये अपने व्यवहार को प्रभावित करने लगता है ।
स्टेप 5:-
इसमे
संग्रहीत चित्रों के अनुसार हम विचार करने लगते है ।
ये विचार
जैसे होते है वैसी ही वस्तुएं,घटनाएँ और लोगो को जिंदगी में आकर्षित करने लगते है ।
हमारा शरीर भी हमारे अर्धजाग्रत मन (Sub-Conscious Mind ) के द्वारा संग्रहीत चित्र के अनुसार ही कार्य
करने लगता है ।
और जिस तरह के कार्य हम करते है परिणाम भी उसी अनुसार मिलने लगते है ।
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